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Mustard prices : फिर आई सरसों की कीमतों में तेजी, सरकार ने दिए ये बड़े संकेत, किसान होंगे मालामाल

जानें सरसों की कीमतों में तेजी के कारण और सरकार की एग्री सेक्टर से बढ़ी उम्मीदें। जानें किस प्रकार से एग्री सेक्टर में ग्रोथ की उम्मीद है और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

Mustard prices : फिर आई सरसों की कीमतों में तेजी, सरकार ने दिए ये बड़े संकेत, किसान होंगे मालामाल

नई दिल्ली, 15 जनवरी 2025

सरसों की कीमतों में तेजी

Mustard prices : इंटरनेशनल मार्केट में सरसों की कीमतों में तेजी आई है। एक महीने की ऊंचाई पर सरसों का दाम पहुंचा है। 545 यूरो/टन के पार दाम निकले हैं। 2025 में अब तक 6% की तेजी दर्ज की गई है। अप्रैल 2022 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर दाम 1094 यूरो/टन तक पहुंच गए थे।

सरकार की एग्री सेक्टर से उम्मीदें

सरकार को इस साल एग्री सेक्टर में ग्रोथ की उम्मीद है। सरकार उम्मीद कर रही है कि खरीफ और रबी दोनों में ही अच्छा उत्पादन होगा। पिछले साल के मुकाबले इस साल रबी में सरसों की बुआई 6% कम रही है, जिससे किसानों को चिंता है।

एग्री सेक्टर की ग्रोथ और चुनौतियां

2024-25 में अच्छे मॉनसून के कारण उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। FY24 में सेक्टर में 1.4% की गिरावट दिखी, लेकिन इस साल 3.5-4% की दर से ग्रोथ की उम्मीद है। 2016-17, 2022-23 में 5% की औसत ग्रोथ रही है।

मुख्य चुनौतियां:

  • दलहन उत्पादन: दलहन का उत्पादन 24-25 मिलियन टन बढ़ा है, लेकिन भारत अब भी आत्मनिर्भर नहीं है और जरूरत का करीब 60% दाल इंपोर्ट होती है।
  • खाने का तेल: भारत सबसे बड़ा इंपोर्टर है।

भारत में सरसों का हाल

भारत में सरसों के दाम एक साल में 25% तक चढ़ चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल 6% कम बुआई हुई है। 14 जनवरी तक 88.50 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 93.73 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

सरकारी अधिकारी की राय

MOPA के ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिल चत्तर का कहना है कि अगर किसानों को फसल के सही दाम मिलते हैं, तो फसल की बुआई बढ़ जाएगी। 2018 में किसानों को सही फसल के दाम मिले थे, जिसके बाद उन्होंने 25% फसल की बुआई बढ़ाई थी। पूर्व कृषि सेक्रेटरी सिराज हुसैन का कहना है कि तुअर की आवक बाजार में शुरू हो चुकी है और अगले हफ्ते में तुअर की आवक में बढ़त की उम्मीद है।

रबी फसल की उम्मीदें

इस साल रबी की फसल अच्छी होने की उम्मीद है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि रबी फसल के दाम MSP के नीचे न जाएं। सरसों की प्रोडक्शन अच्छी होने की उम्मीद है। ऑयल सीड में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार से एक हद तक प्रोक्योरमेंट कराना जरूरी होगा।

 

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